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क्या मीडिया अब सत्ता का औज़ार बन चुका है?

“जिस मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, क्या वह अब सत्ता का प्रचारक बन चुका है?”

यह सवाल आज हर जागरूक नागरिक के मन में उठ रहा है। क्या खबरें सच में निष्पक्ष हैं? या फिर TRP और दबाव के तले दब चुकी हैं?


क्या कहती है जनता?

  • सोशल मीडिया पर #GodiMedia और #FakeNews जैसे ट्रेंड्स
  • लोग अब WhatsApp और YouTube चैनलों से भरोसेमंद खबर खोजते हैं
  • कई मीडिया हाउस्स पर सरकारी एड के प्रभाव की चर्चा

मीडिया की संपादकीय स्वतंत्रता कहाँ गई?

  • संपादकों पर दबाव, रिपोर्टरों को बर्खास्त किया जाना
  • सत्ता विरोधी रिपोर्टिंग पर FIR
  • असहमति जताने वालों को “देशद्रोही” कहा जाना

डिजिटल मीडिया की भूमिका

  • न्यूज़ पोर्टल्स, यूट्यूब चैनल्स और स्वतंत्र पत्रकार अब नई आवाज़ बन रहे हैं
  • Alt News, BoomLive, Scroll, The Wire जैसे प्लेटफॉर्म वैकल्पिक खबर दे रहे हैं
  • हालांकि, फेक न्यूज़ और प्रोपेगेंडा यहां भी चुनौती हैं

समाधान क्या है?

  • मीडिया साक्षरता (Media Literacy) को बढ़ावा देना
  • सोशल मीडिया पर खबर शेयर करने से पहले फैक्ट-चेक करें
  • युवाओं को वैकल्पिक मीडिया से जोड़ना
  • सरकार को भी प्रेस की स्वतंत्रता को समर्थन देना होगा

निष्कर्ष:

“मीडिया को अगर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बनाना है, तो उसे सत्ता से नहीं, जनता से डरना होगा।”
अब ज़रूरत है जिम्मेदार पत्रकारिता और जागरूक पाठकों की।

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