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बाढ़ के समय डूब जाता है नाथनगर का बिहारीपुर गांव, गांववालों ने की सर्विस रोड बनाने की मांग, आंदोलन में दिखी एकजुटता

नाथनगर (भागलपुर)।
बिहार के भागलपुर ज़िले का नाथनगर विधानसभा क्षेत्र इन दिनों एक अहम समस्या को लेकर सुर्खियों में है। यहां के बिहारीपुर गांव में ग्रामीण बाढ़ की त्रासदी से बार-बार जूझते हैं। हर साल गंगा के बढ़ते जलस्तर के साथ यह गांव डूबने लगता है, जिससे यहां के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। लेकिन इस बार गांववाले सिर्फ पीड़ा नहीं, समाधान मांग रहे हैं — और उसके लिए वे तीन दिनों से धरना और अनशन पर बैठे हैं।

हर साल नाव और तंबू में बीतता है जीवन

बिहारीपुर गांव को बाढ़-ग्रसित क्षेत्रों की सूची में रखा गया है। बरसात आते ही गांव जलमग्न हो जाता है। लोग अपने घर छोड़कर नावों और तंबुओं में रहने को मजबूर हो जाते हैं। गांव की गलियों में पानी भर जाता है, खेत तबाह हो जाते हैं, और जीवन पूरी तरह ठहर सा जाता है।बुजुर्गों और महिलाओं ने बताया कि बाढ़ के दौरान सिर्फ घर नहीं, उनका पूरा जीवन डूब जाता है। मच्छरों के प्रकोप से बीमारियां फैलती हैं, सांप और कीड़े-मकोड़ों का खतरा बना रहता है। “मेडिकल इमरजेंसी के समय हमें हॉस्पिटल तक पहुंचने में घंटों लग जाते हैं, कई बार तो जान भी चली जाती है,” – एक महिला ने भावुक होकर कहा।

सर्विस रोड की है ज़रूरत, नहीं मिल रहा प्रशासनिक सहयोग

वर्तमान में गांव के पास से नेशनल हाईवे का चौड़ीकरण हो रहा है। इस बीच ग्रामीणों की एक अहम मांग है कि हाईवे से गांव तक एक सर्विस रोड यानी एक ढलानयुक्त वैकल्पिक मार्ग बनाया जाए, जिससे बाढ़ के समय भी गांव से मुख्य मार्ग तक जल्दी और सुरक्षित पहुंचा जा सके।गांववालों ने यह मांग NHAI और स्थानीय प्रशासन से की है, लेकिन अब तक किसी तरह का ठोस आश्वासन नहीं मिला है। नाथनगर के पूर्व विधायक लक्ष्मीकांत मंडल भी मौके पर पहुंचे, लेकिन कोई निर्णयात्मक कार्रवाई होती नहीं दिखी।

तीन दिन से अनशन पर ग्रामीण, लेकिन न विधायक जी आए न प्रशासन

गांव के दर्जनों लोग, जिनमें महिलाएं, बुजुर्ग और युवा शामिल हैं, पिछले तीन दिनों से अनशन पर बैठे हैं। उनका कहना है कि वे बार-बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से संपर्क कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।”हम वोट देते हैं, उम्मीद करते हैं कि हमारे जनप्रतिनिधि हमारी आवाज़ बनेंगे, लेकिन अब कोई नहीं आ रहा,” – एक युवक ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा।

मौके पर पहुंचे समाजसेवी आशीष मंडल , किया अधिकारियों से संपर्क

ऐसे में गोपालपुर के विधायक गोपाल मंडल के पुत्र आशीष मंडल ने गांव में पहुंचकर ग्रामीणों की पीड़ा को न केवल समझा, बल्कि उसे अपना विषय बनाकर तत्परता दिखाई। उन्होंने गांववालों के सामने NHAI के अधिकारियों को मौके पर ही फोन किया और सर्विस रोड निर्माण की मांग को लेकर बात की।

आशीष मंडल एक शिक्षित और सक्रिय युवा हैं, जो जनसमस्याओं को लेकर संवेदनशील नजर आते हैं। गांव की महिलाओं और युवाओं से उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर संवाद किया और उनकी बातों को गंभीरता से सुना।

बाढ़ से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित

गांव के युवाओं ने बताया कि बाढ़ सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि भविष्य को प्रभावित करने वाली समस्या बन गई है। बच्चों की पढ़ाई रुक जाती है, स्कूल जाना संभव नहीं होता, और ऑनलाइन पढ़ाई के संसाधन गांव में हैं नहीं।

“हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों को वो सब मिले जो शहरों के बच्चों को मिलता है। लेकिन बाढ़ आने पर स्कूल, किताबें सब बंद हो जाता है। सर्विस रोड अगर बन जाए, तो कम से कम स्कूल तो पहुंच सकेंगे,” – एक युवक ने बताया।

अब सवाल ये कि कब सुनवाई होगी?

बिहारीपुर के लोगों की मांग बेहद स्पष्ट और व्यावहारिक है। वे कोई अनदेखा सपना नहीं देख रहे, बल्कि एक ऐसा समाधान मांग रहे हैं जिससे जान और जीवन दोनों सुरक्षित रह सके।सवाल यह है कि जब तीन दिन से अनशन चल रहा है, तो स्थानीय विधायक और प्रशासन ने अब तक वहां जाने की ज़रूरत क्यों नहीं समझी?

राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद क्या होगी कोई पहल?

आशीष मंडल जैसे युवा अगर इन समस्याओं को लेकर आवाज़ उठाते हैं, तो यह न सिर्फ समाज के लिए, बल्कि राजनीति के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। लेकिन क्या केवल आवाज़ उठाने से काम चलेगा?ज़रूरत है कि प्रशासन तुरंत वहां पहुंचकर सर्वे करे और सर्विस रोड के निर्माण को प्राथमिकता में रखे। क्योंकि यह सिर्फ एक गांव की मांग नहीं, बल्कि मानवीय ज़रूरत है।

बाढ़ से लड़ना है, लेकिन अकेले नहीं

बिहारीपुर गांव की लड़ाई सिर्फ पानी से नहीं, बल्कि उपेक्षा से भी है। जब तक जिम्मेदार लोग ज़मीन पर आकर वास्तविकता नहीं देखेंगे, तब तक इनकी समस्याएं कागज़ों पर ही सिमटी रहेंगी।गांववालों की आवाज़ को अब नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यह सिर्फ एक सर्विस रोड की मांग नहीं — यह सम्मान, सुरक्षा और जीवन के अधिकार की मांग है।

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